एक ऐसा फौजी जिसका है मंदिर,और उनकी आत्मा देती है पहरा।
भारत की धरती वीरता तथा बलिदान का साक्ष्य है। और भारत की रक्षा करने वाले वीर सैनिक सदैव अपनी देश की रक्षा करने के लिऐ तत्पर रहते है चाहे उन्हे अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े। परंतु हमारे देश में एक ऐसे भी सैनिक है जो शहीद होने के बाद भी बॉर्डर पर अपनी ड्यूटी निभाते है। हां, आप सही पढ़ रहे है , शाहिद होने के बाद भी देश की रक्षा करते है, हरभजन सिंह।
उन वीर का नाम बाबा हरभजन सिंह है । पंजाब रेजीमेंट के जवान की आत्मा, पिछले 55 साल से देश की रक्षा कर रहे है।
कौन थे हरभजन सिंह और क्या है मान्यता…
हरभजन सिंह भारतीय सेना के पंजाब रेजीमेंट के एक सच्चे सिपाही थे उनका जन्म 30 अगस्त 1946 को हुआ था और उनकी मृत्यु सिक्किम के नाथूला पास में 4 अक्टूबर 1968 में हुई । जब वो तीन दिनों तक लापता रहे , तो उनके अफसरों ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। फिर वो अपने एक दोस्त के सपने में आए और उन्होंने अपने शव का ठिकाना बताया, जब सेना के लोग उन्हें ढूंढने गए तो , उनका शव ठीक उसी जगह पर था। ये तो कह सकते है उनके मृत्यु के बाद ऐसी घटनाओं की शुरुआत थी। उनकी आत्मा आज भी इंडो चीन बॉर्डर पर पहरा देती है । बाबा हरभजन सिंह ने चीन के कई युद्ध योजनाओं को पहले ही सिपाहियों को बता देते थे, और ये सुनकर सेना पहले ही सचेत हो जाती थी। जो सिपाही रात को पहरा देते हैं और उनकी पलक झपकते ही उन्हें जोर का चाटा महसूस होता, जैसे उनके किसी बड़े अफसर ने मार कर जगाया हो । 26 जनवरी 1969 को हरभजन सिंह को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। सेना के द्वारा उनका मासिक वेतन, उनके माता पिता को दिया जाता था । सेना के द्वारा उनका एक मंदिर भी बनवाया गया, जहा लोग आज भी उनकी प्रतिमा की दर्शन करते और वहा पर राष्ट्रगान गाते है। उन्हें बतौर कैप्टन दिसंबर 2006 में रिटायरमेंट मिली। और उस समय भारत चीन के बीच कोई मीटिंग भी होती थी तो उनके लिए एक कुर्सी खाली छोड़ी जाती है। भारत के साथ साथ चीन के सैनिक उन्हे पूजते है और उनका सम्मान करते है।
Writer:- (Akash Jha)